शुक्रवार, 21 अगस्त 2009

बस में गाँधी

ऑटो वाले हरताल पर थे सो मैंने बस से जाने का फैसला किया । बस में चरते ही गाँधी पर नजर पड़ी । भीर में अबे कुचले से खड़े थे। मैं भी खड़ा हो गया । पर अजीब सी बात हुई वो हमसे छिपाने की कोशिश कराने लगे मैंने उनसे पूछा की एपी कहाँ जा रहे हैं बापू तो बोले की मैं दिल्ली की सर कराने निकला हुं । सो मैं चला तो थोड़े पैसे लेकर पर हर इस्ताप पर बस वाला जयादा पैसे मंगाता है । मैंने कहा की बस वाले से आप को पुछन चाहिए तो वो बोलने लगे कई बार पूछा बस वाला कहता है की पहचानते नहीं यह लोकल बस है । और तुरुन्त मार पिट पर उतर गया । क्या करू देना परता है । .........................बापू चले गए ................और मैं ..............आगे लिखूंगा ...............

रविवार, 16 अगस्त 2009

१५ अगस्त

कल १५ अगस्त था । बापू लाल किले की प्राचीर के किनारे खडे. होकर प्रधान मंत्री जी का भाषण सुन रहे थे । मैंने देखा धीरे धीरे उनके चेहेरे की रौनक कम होने लगी और वो भाषण समाप्त होने के पहले ही जाने लगे .मैं दौर कर उनके पास गया और पूछने लगा की आप सुट बूट
में ए हैं वो बोले की अगर ऐसे नही आता तो पोलिस धक्के मारकर भगा देती फ़िर मैंने पुछा कीआप मुरझाये चेहरे लेकर कयूं जा रहे हैं वो कहने लगे की मैं यह उम्मीद नही करता था की सवान्त्रत भारत काप्रधान मंत्री भारत के जनता की मूल समस्या का ध्यान देकर सिर्फ़ अपनी उपलब्धिया गिनाएगा .मैंने पुछा मूलसमस्या अभी क्या है उन्होंने कहा की और तो ढेर सारी हैं पर तुंरत तो मुहंगाई पर जरुर कुछ कहना चाहिए थाफ़िर मैंने ध्यान दिया तो देखा की प्राधान मंत्री जा रहे थे .मैंने इधार नजर घुमाई तो कोई नही था .मैं चुप हो गयाऔर अपने कमरे की तरफ़ चल दिया ...............................................और मौन हो गया .......................

शुक्रवार, 14 अगस्त 2009

रात का सपना

रात सपने में गांधीजी आये थे खून से लथ पथ मैंने पुछ लिया की ऐसा कैसे हो गया आपको तो बस ३ गोली लगी थी , तो वो बोले की आज महंगाई ने जिस्म को चलनी कर दिया है । आजकल रोज एक गोली यमराज मारता है कहता है क्या यही भारत आजाद कराया था जहाँ रोज एक आदमी मरता है । मैं घबरा गया और उठ बैठा फी महगाईं पर नजर डाली तो पाया की तेल ८० रूपी किलो था । मुझे कांगेरस का नारा यद् आया जो ७० के दसक में दिया गयाथा रोज की है रेलम पेल१० का है करुवा तेल । उस समय मोरार जि देसाई की सरकार थी । फ़िर मेरी समझ में आया की गाँधी इतना खून से लथ पथ क्यूँ हैं । मैं मौन हो गया और एक गहरा सन्नाटा चा गया

शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

गाँधी और मैं

जब गाँधी को देखा तो सोचा क्या इस तरह आदमी सा दिखने वाला कोई आदमी था। एक दिन सपने में भी आए थे, कहा की मेरी कुछ फोटो तो देखो मैं भी पुरे kapre पहनता था . नही समझा निचे अधि धोती पहन कर उपर लपेट लेता था और पब्लिक समझती थी की मैं kapre कम पहनता हुं .सो मुझे उनकी फोटो देखनी परी .साथ साथ में अब्रहुम्लिंकन मार्टिन लुथेर बाबा साहब भीम राव और ज्यितिबा फूले को भी देखने का मन किया । फिर समझ में आया की गाँधी कम kapre क्यूँ पहनता था । चलो आगे किसी औए दिन कुछ और देखेंगे .

गाँधी और मन