रविवार, 16 अगस्त 2009

१५ अगस्त

कल १५ अगस्त था । बापू लाल किले की प्राचीर के किनारे खडे. होकर प्रधान मंत्री जी का भाषण सुन रहे थे । मैंने देखा धीरे धीरे उनके चेहेरे की रौनक कम होने लगी और वो भाषण समाप्त होने के पहले ही जाने लगे .मैं दौर कर उनके पास गया और पूछने लगा की आप सुट बूट
में ए हैं वो बोले की अगर ऐसे नही आता तो पोलिस धक्के मारकर भगा देती फ़िर मैंने पुछा कीआप मुरझाये चेहरे लेकर कयूं जा रहे हैं वो कहने लगे की मैं यह उम्मीद नही करता था की सवान्त्रत भारत काप्रधान मंत्री भारत के जनता की मूल समस्या का ध्यान देकर सिर्फ़ अपनी उपलब्धिया गिनाएगा .मैंने पुछा मूलसमस्या अभी क्या है उन्होंने कहा की और तो ढेर सारी हैं पर तुंरत तो मुहंगाई पर जरुर कुछ कहना चाहिए थाफ़िर मैंने ध्यान दिया तो देखा की प्राधान मंत्री जा रहे थे .मैंने इधार नजर घुमाई तो कोई नही था .मैं चुप हो गयाऔर अपने कमरे की तरफ़ चल दिया ...............................................और मौन हो गया .......................

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